क्यों?
क्यों?
क्यों निकलता हैं सूरज? क्यों निखरता हैं चाँद?
क्यों पंछी गीत गाते हैं? क्यों मोर नाचते हैं?
क्यों नदिया बहती हैं? क्यों मोर नाचते हैं?
क्यों तारे अनेक हैं? और निशा एक?
यह सब पूछा मैने अपने मन से
अगर हैम न होते ,तो सूरज निकलता?
अगर हम ना होते, तो क्या मोर नाचते?
में बैठा था, उस पहाड़ की चोंटी पर
प्रकृति के मनोहर से स्तंभ
न में था, न दिमाग
न शरिर,न कोई खयाल
सिर्फ में और मेरा मन
Written by - Vihaan Dhir